Thursday, January 12, 2017

Nitish Kumar ने मकर संक्रांति के भोज पर BJP के नेताओं को दिया निमंत्रण। ...





बिहार की राजनीति में आज कल बहुत ज्यादा बदलाव देखने को मिल रहा है।

खासकर ये बदलाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अपने पुराने संबंधी और वर्तमान विरोधी बीजेपी से मधुर हो रहे सम्बन्धों में देखा जा सकता है।

कल पटना में जदयू ने 15 जनवरी को मकर संक्रांति के भोज में बीजेपी नेताओं को आमंत्रित करने की घोषणा की है।

ये घोषणा इस भोज के आयोजक और बिहार जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने की है।

नारायण सिंह के अनुसार इस साल बीजेपी के नेताओं को भी इस भोज के लिए निमंत्रण भेजा जा रहा है।

इस मकर संक्रांति के भोज में चूड़ा, दही, तिलकुट, मिठाई और सब्जियों कि प्रबंध होती है।

माना जा रहा है कि नारायण सिंह ने यह घोषणा नीतीश की सहमति के बाद की है।

हालांकि मकर संक्रांति के अवसर पर राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव के घर पर भी भोज का आयोजन होता है।

इस साल भी लालू ने पहले से ही मीडिया के माध्यम से सभी को निमंत्रण भेजा है।

यह भी तय है कि नीतीश अपने पार्टी भोज में सरीक होने से पहले मकर संक्रांति की शुभकामनायें देने लालू यादव के घर जाएंगे।

शुरुआत से ही नीतिश कुमार ने जदयू की तरफ से हर साल इस भोज का आयोजन किया है और उन्होंने इस भोज में अपने सत्ता के सहयोगी दल के नेताओं को आमंत्रित किया हैं और हर साल राजद की तरफ से लालू यादव ने इस भोज का आयोजन किया हैं और उन्होंने अपने राजनैतिक मित्रों को निमंत्रण दिया है।

लेकिन यह पहली बार हुआ है कि नीतीश कुमार ने अपने राजनैतिक विरोधियों को भी इस भोज में आमंत्रित किया है।

हालांकि बिहार के बीजेपी के अध्यक्ष नित्यानंद रॉय का कहना है कि अभी तक उन्हें कोई निमंत्रण नहीं मिला है और उन्हें मीडिया के माध्यम से ही ये जानकारी मिली है।उन्होंने ये भी कहा कि

जब निमंत्रंण मिलेगा तब शामिल होने के मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा।

इससे ये तो स्पष्ट है कि नित्यानंद रॉय

अपने पार्टी के आला कमान के निर्देश पर ही भोज में शामिल होने या न होने का फैसला लेंगे।

हाल के दिनों में नीतीश और बीजेपी के संबंधों में बढ़ती मधुरता के सिलसिले में इस निमंत्रण को एक और कड़ी बताया जा रहा है।

पिछले दिनों बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जब पटना आए तब उन्होंने नीतीश या राज्य सरकार पर किसी तरह का नेगेटिव कमेंट नहीं किया था।

राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नीतीश कुमार के शराबबंदी के मुद्दे पर 21 जनवरी को मानव श्रृंखला में भाग लेने का फैसला भी केंद्र सरकार का ही था।

बीजेपी के नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना में प्रकाश उत्सव के मौके पर शराबबंदी के फैसले का जैसे समर्थन किया उसके बाद खटास की गुंजाइश और कम हो गई है।

आने वाले समय में

निमंत्रण की इस नई राजनीति के बाद निश्चित रूप से नीतीश कुमार के मकर संक्रांति के भोज पर पूरे देश के राजनेताओं की नजर होगी।









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